A Poetry For Those CS Students Who Left Their Home For CS Preparation And A Middle Class Student Can Also Feel This !!
आना जाना छोड़ चुके...पर्वों से नाता तोड़ चुके,
रख कर पत्थर अपने दिलों पर...घर से मुख है मोड़ चुके,
किसका दिल करता है यारों...घर का सुख-चैन गवाने को,
फिर घर हम छोड़ आये हैं...जीवन सफल बनाने को,
नैन में माँ के बस्ता सपना...मैं अब काबिल बन जाऊं,
कर-कर चिंता बूढ़ी हो गई...कभी तो खुशियां दिखलाऊँ,
बाप से मेरे चला न जाता...बाप से मेरे चला न जाता,
फिर भी काम को जाता है...और मेरा खर्चा भिजवाने को रोज कमाकर लाता है,
छत वो घर की तपक रही है...छत वो घर की तपक रही है...जिसके नीचे सोते हैं,
और जब-जब बहार हुआ मेरिट से...मुझसे ज्यादा रोते हैं,
पता है तुमको...पता है रब को...मेहनत में मेरी कमी नहीं,
और वो जीवन क्या जीवन यारों...जिसमें किस्मत से ठनी नहीं,
माना चलती कठिन परीक्षा...माना चलती कठिन परीक्षा,
मेहनत मेरा हथियार है...गुरुओं से लेकर दीक्षा अर्जुन रण को तैयार है,
सब्र का मईया बांध न टूटे...सब्र का मईया बांध न टूटे,
गला किस्मत का घोटूंगा...चंद वर्ष बाकी हैं,
बस बन CS लौटूंगा।